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सोमवार, 18 मार्च 2013

सुरक्षा ?

खबर आयी कि उसने सुसाइड कर लिया | खबर के कई सारे रूप और कई सारे संस्करण थे | अपने ही घर में वह जलकर मरी थी, या जलाकर मार दी गयी थी | वह महज़ चौदह बरस की थी, आठवीं कक्षा की छात्रा | ऐसे तो वह बहुत हंसमुख थी, होनहार भी पर जब भी एक दो दिन की छुट्टियों के बाद विद्यालय खुलता तो वह थोड़ी मायूस सी रहती | वह हमेशा टीचर्स से कहती कि यह छुट्टी क्यों होती है ? उसे घर में अच्छा नहीं लगता |
उसके पिता जब भी विद्यालय आते, उनकी एक ही शिकायत रहती | इसको तो यहीं अच्छा लगता है| इसका वश चले तो स्कूल में ही रहे, घर जाए ही नहीं | कई बार उन्होंने क्लास टीचर से रहस्यमय ढंग से  यह भी शिकायत की थी कि उनकी बेटी किसी से 'फंसी' हुयी है | कई बार तो वे स्कूल आते भी नहीं थे. गेट पे ही खड़े रहते घंटों तक, जब भी वह खेल के मैदान में होती या यूँ ही किसी काम से क्लास के बाहर होती उसे घूरा करते | और वह सहम कर क्लास में लौट आती और फिर पूरा दिन मायूस |
वह कहती कि उसे घर में अच्छा नहीं लगता और उसके पिता कहते कि इसे तो स्कूल में ही रहना अच्छा लगता है !
और अब यह खबर !



2 टिप्‍पणियां:

  1. अरे! छोटी पर मार्मिक है यह. सुरक्षा का जो घेरा है वही तो घुटन देने वाला है. समझ में आ सकता है कि वह क्यों स्कूल से घर नहीं जाना चाहती थी..
    यद्यपि इसके कई आयाम हो सकते हैं कि वो घर क्यों नहीं जाना चाहती थी लेकिन यह स्पष्ट है कि उसका शोषण हो रहा है. यह मानसिक है, शारिरिक है या यौन!! अपनी व्याख्याएं हो सकती हैं..
    बढ़िया और मार्मिक कथा.

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