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बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

क्या लिखूं

क्या लिखूं
कई बार होती है बड़ी दुविधा
(असुविधा का सवाल अभी छोड़ देते हैं )
कि क्या लिखूं
कहानियाँ हैं ढेरों लिखने को
पर उनका अंत करना बड़ा ही मुश्किल
कि अक्सर ढेर-ढेर अंत सूझते है
पर लिख नहीं पाता
कविता में कैसे कहूँ
जब
गद्य ही न सध पाया तो
कहना है बहुत बहुत
कैसे कहूँ, क्या लिखूं ?

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