बेद ब्यास भोई - मूलतः ओडियाभाषी, कुछ दिन लक्षदीप रहे, असम रहे तो असमिया भी सीखी | निजी जीवन में जितने लापरवाह, विचारों में उतने ही प्रखर | उन्होंने एक कविता भेजी थी, शीर्षक नहीं दिया था सो शीर्षक के बिना ही -
मौन क्यूँ हैं मोहब्बतें
पागल चुप क्यूँ है इश्क
कश्मीर से कोकराझार
आज क्या हुआ धरती पर
कभी सिंधु, कभी ब्रम्हपुत्र
क्यूँ खून से लाल हैं
दिल रोता फिर क्यों होंठ कांपते
जब तेरे मेरे बीच में तकरार होती है |
bahut badhia hai ho.................
जवाब देंहटाएंkaun likha hai e........................