उसने कहा कि वह कोलकाता से आयी है | एक हप्ते के लिए | आती रहती है कभी-कभी, दो-चार दिनों के लिए | हालाँकि चेहरे-मोहरे, रूप-रंग और कद-काठी से वह नार्थ ईस्ट की ही लग रही थी | यह अरुणाचल के असम से सटे अंतिम छोर की एक पहाड़ी नदी का किनारा है | चारों ओर ऊंची-ऊंची चोटियाँ,आर ओ वाटर से भी साफ़ बहता हुआ पानी और ठंडा इतना कि 'मेन लैंड' से आये सैलानी गरम बीअर की बोतलें नदी में थोड़ी देर रख उसका आनंद उठा रहे थे | दो तीन बसों और कुछ छोटी गाड़ियों में लोग घूमने आये थे | कुछ दुकानें थीं लकड़ी, बांस और फूस की बनी हुयी, निहायत अस्थायी, जिनमें कुछ नमकीन, पान और बीअर शराब आदि मिल सकता था | दूकानदार सिर्फ लड़कियां और ज्यादातर छोटी उम्र की | कुछ स्कूल जाने वाली भी | वह भी उन्हीं में से एक थी |
वह हँस रही थी, गाहकों से 'डील' कर रही थी और सहेलियों से ठिठोली | पर क्या सचमुच ?
वह हँस रही थी, गाहकों से 'डील' कर रही थी और सहेलियों से ठिठोली | पर क्या सचमुच ?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें